राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम वाला एक बयान दिया था जिस पर ए आई एम आई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने हमला बोल दिया है। अपने बयान के दौरान भागवत ने कहा था कि भारतीय मुस्लिम इस दुनिया में सबसे अधिक संतुष्ट रहते हैं। भागवत के दिए हुए इस बयान पर हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने अपने ट्वीट के माध्यम से निशाना साधा है।
ट्वीट के माध्यम से ओवैसी ने दिया जवाब:
What is measure of our happiness? That a man named Bhagwat can constantly tell us how grateful we should be to the majority? The measure of our happiness is whether our dignity under Constitution is respected. Don’t tell us how ‘happy’ we’re while your ideology wants… pic.twitter.com/DjRe5lhSBx
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 10, 2020
ए आई एम आई एम के प्रमुख ओवैसी ने ट्वीट के माध्यम से कहा है कि भागवत नाम का एक आदमी लगातार हमें यह बताना चाहता है कि हमें बहुमत के प्रति किस प्रकार आभारी होना चाहिए। एक अन्य ट्वीट के माध्यम से ओवैसी ने यह भी कहा है कि मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाने के लिए वह भागवत को यह नहीं सुनाना चाहते कि वह मातृभूमि में रहने के लिए किसी भी प्रकार के बहुमत के आभारी हैं।
भागवत ने मुगल शासक अकबर के खिलाफ युद्ध में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप का किया जिक्र :
भागवत ने मुगल शासक अकबर के खिलाफ युद्ध के दौरान मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की सेना का जिक्र किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने देश की संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा है कि देश की संस्कृति पर जब भी किसी ने हमला किया है सभी धर्मों के लोगों ने साथ मिलकर इसका सामना किया है।
संविधान में केवल हिंदुओं के रहने की बात नहीं कही गई है: मोहन भागवत
..to make Muslims second class citizens I don’t want to hear you say that we’ve to be grateful to majority for living in our own homeland. We’re not seeking majority’s goodwill, we’re not in a competition with world’s Muslims to be the happiest We just want our fundamental rights
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 10, 2020
भागवत का कहना है कि संविधान में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है यहां केवल हिंदू ही रह सकते हैं। इसके अलावा यह बात भी कहीं उल्लेखित नहीं है कि यहां केवल हिंदुओं की बात ही सुनी जाएगी। इसके अलावा संविधान में हिंदू धर्म की प्रधानता को स्वीकार करने के लिए बाध्य भी नहीं किया गया है। संघ प्रमुख ने कहा है कि इस बात से हिंदू का कोई विशेष संबंध नहीं है कि कौन किसकी पूजा अर्चना करता है। इसके लिए सभी धर्मों को एक सूत्र में बांधे रखने वाले की आवश्यकता होनी चाहिए।