Navratri 2020: नवरात्रि में देवी मां का तीसरा (तृतीया) रूप : मां चंद्रघंटा…जुड़ी हर वो चीज जो आप जानना चाहते हैं
दिन : 19 अक्टूबर 2020, (सोमवार- Monday )
मां का स्वरूप : मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र है। जिसके चलते इनका यह नाम पड़ा मां का यह रूप बहुत शांतिदायक है। इनके पूजन से मन को शांति की प्राप्ति होती है। ये भक्त को निर्भय कर देती हैं। देवी का स्मरण जीवन का कल्याण करता है।
मां की पूजा विधि : माता की चौकी (बाजोट) पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसकेबाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
मां का भोग : मां चंद्रघंटा मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं। इसमें भी मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगाना श्रेयकर माना गया है।
मंत्र – पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
आशीर्वाद : साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट कर देती हैं।